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चीन में इस्लाम

12:43 pm, 28 Nov 2010 1,471 views 20 Comments

चीन में इस्लाम का इतिहास कोई 1300 साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, चीन में इस्लाम का आरम्भ वर्ष 651 में हुआ। इसी पूर्व वर्ष 97 में ही चीन और अरब देशों के बीच आवा-जाही शुरू हो गई थी। उस वक्त एक चीनी नागरिक कान ईंग ने सरकारी दूत की हैसियत से फारस जैसे देशों की यात्रा की। इस के पश्चात बड़ी संख्या में चीनी व अरबी समुद्री जहाज और व्यापारी एक-दूसरे के यहां गए। चीन के थांग राजवंश में दोनों की आवाजाही में उभार आया। तब बड़ी संख्या में अरबी व्यापारी फारस की खाड़ी हो गए भारत और मलाया प्रायद्वीप के जरिए दक्षिणी चीन के क्वांगचओ और छ्वेनचओ जैसे समुद्रतटीय शहर पहुंचे।
इस के बाद और बड़ी संख्या में अरबी व्यापारी फारस और मध्य एशिया से चीन आए। उन्होंने जो रास्ता तय किया था, वहां आज मशहूर रेशम मार्ग कहलाता है। आज यह मार्ग चीन की अरब देशों व ईरान के साथ दोस्ती का प्रतीक माना जाता है।

वर्ष 757, यानी चीन के थांग राजवंश में, सैनिक विद्रोह को शांत करने के लिए थांग राजवंश के सम्राट ने अरब से सैनिक सहायता की मांग की थी। यहां व्यवस्था बनाने के बाद अरबी सैनीक चीन में ही बस गए, वे चीन के मुसलिमों का एक हिस्सा माने जाते हैं।

चीन के थांग और सुंग राजवंश में बड़ी संख्या में अरबी व्यापारी चीन जाने लगे थे। वे सब इत्र, जड़ी-बूटी और आभूषण के व्यवसाय करते थे। चीन जाने वाले अरबी व्यापारियों की संख्या में बड़ी वृद्धि को देखते हुए अरबी पदाधिकारी ने अपना दूत भी चीन भेजा। 25 अगस्त, 651 को, अरब के तीसरे ख़लीफ़ा उथमान बी अफ़्फ़ान ने ऐसा प्रथम औपचारिक मिशन चीन भेजा था। मिशन ने थांग राजवंश के सम्राट से मुलाकात के दौरान अपने देश के धर्म और रीति-रिवाज से चीनी सम्राट को अवगत कराया। चीन के प्राचीन ग्रंथों में अरबी मिशन के चीन जाने को इस्लाम के चीन में प्रवेश का प्रतीक माना जाता है।

सुंग राजवंश के अंत में जंगेज ने पश्चिम पर कब्जा करने का सैनिक अभियान आरम्भ किया। इन अभियान के दौरान बड़ी संख्या में मकबूज़ा जातियों के मुसलिमों का चीन में स्थानांतरण हुआ। इन जातियों में खोरजम जाति की जनसंख्या सब से ज्यादा थी। इन जातियों के लोग बाद में चीन में ह्वेई

जाति के पूर्वज बने। वर्ष 1271 में मंगोल जाति ने दक्षिण सुंग राजवंश की सत्ता का तख्ता उलटकर य्वान राजवंश की सत्ता स्थापित की। य्वान राजवंश काल में चीन भर में ह्वेई जाति के लोग बसने लगे थे और ह्वेई व उइगुर जैसी दसेक जातियों के लोग मुसलिम बन चुके थे।

चीन के सिंच्यांग उइगुर स्वायत प्रदेश के पश्चिमी भाग में 10 वीं सदी से ही बड़ी संख्या में तुर्क लोग इसलामी धर्म के अनुयाई बन गए थे।

वर्ष 1990 के आंकड़ों के अनुसार, चीन में ह्वेई, उइगुर, कजाख, तुंगश्यांग, करकज, साला, ताजीक, उजबेक, पाउआन और तातार जैसे दस जातियों के लोग इसलाम में विश्वास रखते हैं। इन की कुल संख्या 1 करोड़ 70 लाख है। जिन में से ह्वेई जाति लोग 86 लाख, उइगूर लोग 21 लाख और खजाक लोग 11 लाख 10 हजार हैं।

चीन में अधिकांश मुसलिम सिंच्यांग उइगूर स्वायत प्रदेश में रहते हैं, शेष निंगश्या ह्वेई जाति स्वायत प्रदेश, भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश, कानसू, हनान, छिंगहै, युननान, हपेई, शानतुंग, आनह्वेई, प्रांतों और राजधानी पेइचिंग में रहते हैं। इस के अतिरिक्त अन्य प्रांतों, स्वायत प्रदेशों, केन्द्र शासित शहरों, हांगकांग, थाइवान और मकाओ में भी मुसलिमों की आबादी है।

सातवीं सदी के अंत में ह्वेई लोगों ने इसलाम पर विश्वास रखना शुरू किया। पहले खजाक लोग जोरोआस्तर, क्रीस्त धर्म और बौद्ध मत पर विश्वास रखते थे। आठवीं सदी में उन्होंने इसलाम पर विश्वास रखना शुरू किया। दसवीं सदी के मध्य में उइगुर लोगों ने पहले सामान धर्म और फिर मनी धर्म से निकल कर इस्लाम पर विश्वास रखना शुरू किया। 13 वीं सदी में मध्य एशिया से पश्चिमी चीन के लोग कानसू प्रांत में बड़ी तादाद में जा बसे, उन्हों ने मंगोल , ह्वेई और हान लोगों के साथ विवाह रचाना शुरू किया।

तुंगश्यांग लोग इनही की संतान है। साला लोगों के पूर्वज मध्य एशिया के समरकंद से पश्चिमी चीन के छिंगहै प्रांत में जा बसे थे। उन्होंने हान और तिब्बती लोगों के साथ विवाह किया। 15 वीं सदी में साला लोगों ने इसलाम पर विश्वास शुरू किया। उन का चीन की हर जाति के साथ विवाह देता है, मुसलिमों के बीच भी विवाह किया जाता है। हालांकि इस प्रकार के विवाह इतने ज्यादा नहीं होते है।

चीन में मस्जिदों की कुल संख्या 30 हजार से अधिक है। चीन के भीतरी और पश्चिमी भाग में मस्जिदों के निर्माण की शैली में फर्क भी काफी ज्यादा है। पश्चिम के मस्जिदों मे अरबी शैली नजर आती है, तो भीतरी चीन की मस्जिदें चीन की परम्परागत शैली की हैं। इमाम व आख़ुंनों की संख्या भी कोई 40 हजार के ऊपर है।

Source: China Radio International (http://hindi.cri.cn)

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  • http://vedquran.blogspot.com Anwer Jamal

    bhot badhiya

  • http://vedquran.blogspot.com sehzad

    nice post

  • http://loksangharsha.blogspot.com/ loksangharsha

    nice

  • http://premras.com Shah Nawaz

    चीन में इस्लाम की स्थिति के बारे में बेहतरीन जानकारी….

  • http://premras.com Shah Nawaz

    बहुत खूब!

  • http://koeancomputers.com Ahmed

    bahut achha kaam kar rahei hai ap, bahut pasand aaya.

  • http://mla-delhi.blogspot.com M. Liaqat Ali (MLA)

    yeh to bahut badhia jaankaari hai

  • http://mla-delhi.blogspot.com M. Liaqat Ali (MLA)

    mashallah very nice

  • http://iamsheheryar.blogspot.com Sheheryar

    यह तो अच्छी बात बताई आपने, मुझे लगता था की चीन में मुसलमान बहुत कम रहते हैं और उनपर भी बहुत ज़ुल्म होता है.

  • http://iamsheheryar.blogspot.com Sheheryar

    आप हमेशा ईमेल करके मुझे खूबसूरत लेखों की जानकारी देते रहते हैं, इसके लिए बहुत ज्यादा शुक्रिया जनाब!

  • http://islamhindi.com मुख्य संपादक

    हौसला अफजाई के लिए आप सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया.

  • http://www.aqyouth.blogspot.com s.m.masum

    ज्ञान वर्धक. एक अच्छा लेख़ है

  • डॉ.अयाज़ अहमद

    अच्छा लेख

  • http://vedquran.blogspot.com sehzad

    आज चीन में इस्लाम का पुनरूत्थान हो रहा है। चीन के हर प्रान्त में मुस्लिम मिल जायेंगे। चीन के 55 मान्य अल्पसंख्यक समूहों में 10 समूह मुसलमानों के ही हैं। 35 हजार मस्जिदें-मजारें हैं और 45 हजार ईमाम। चीन में हिन्दुओं की संख्या बहुत कम है। चीन का पहला हिन्दू मन्दिर फोशन में बनाया गया है जो गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर की शैली का है। इस्कोन के भी कुछ केन्द्र चीन में हैं। (

    http://sureshgoyal.wordpress.com/2009/07/15/जापान-चीन-यात्रा-संस्मरण-82/

  • http://vedquran.blogspot.com sehzad

    भाई साहब यह लेख भी लगाऐं

    चीनी देश भक्‍त मौलाना अब्दुरेकिप की देशभक्ति की भावना
    http://hindi.cri.cn/1/2006/09/22/1@51312.htm

  • zeashan zaidi

    रसूल अल्लाह (स.) की एक हदीस में चीन देश का हवाला है, ‘इल्म हासिल करो, चाहे उसके लिए चीन जाना पड़े!’

  • http://dabirnews.blogspot.com Tausif Hindustani

    ज्ञानवर्धक लेख
    बहुत बहुत धन्यवाद
    dabirnews.blogspot.com

  • http://halal-meet.blogspot.com/ ahwal

    mitra Hindi men yeh lekh padhwado
    जापान में इस्‍लाम
    http://www.scribd.com/doc/35207433/Islam-in-Japan

  • Raees ahmad khan

    Assalamoalaikum
    chini musalmano ke bare main mujhe bahut kam jankari thi aapke is lekh se bahtareen jankari hasil hui
    aisi hi aur jankari diya kijiye
    jazakallah

  • rainwarsi

    islam ke bare me chin me mujhe jankari hui

 
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